इन सभी में काम की एवज में इन प्राइवेट फर्म की तरफ से बड़ी संख्या के करोड़ों रुपये के फर्जी बिल लगाए गए, जिन्हें कमीशन के आधार पर सरकारी अधिकारियों ने पास कर दिया। गिरफ्तार आरोपी रिटायर्ड पीडब्ल्यूडी एडीजी अनिल कुमार आहूजा ने अपने कार्यकाल में 10 आरोपी कंपनियों में से 56 को गलत तरीके से टेंडर जारी किए हैं। ये तमाम कंपनियां और ठेकेदार काम के लिए खरीदे गए सामान के बिल मुहैया नहीं कर पाए। ये सभी बिल काम पूरा होने के 4 से 6 महीने बाद बनवाये गए। बाद में जांच के दौरान पता चला कि कंपनियों द्वारा जारी किये गए बिल फर्जी थे यानी दिए गए टेंडर के लिए सामान खरीदा ही नहीं गया था। जांच में पता चला कि टेंडर के नियमों और जीएसटी नॉर्म्स का उलंग्घन किया गया है।
जांच में ये भी पाया गया कि एक ही दिन में इन प्राइवेट कंपनियों से काम के बदले कोटेशन मंगवाए गए। टेंडर की बोली लगाई गई और बिड में बिना अंतर देखे एक निर्धारित कंपनी को टेंडर दे दिया गया, जो कि एक दिन में सभव नहीं है। रिटायर्ड एडीजी (PWD) अनिल कुमार आहूजा और एक प्राइवेट फर्म मैसर्स एवी एंटरप्राइज के बीच सवा करोड़ रुपये की ट्रांसजेक्शन ट्रैक की गई। एवी एंटरप्राइज ने 5 दिसंबर 2020 को अनिल कुमार आहूजा की बेटी के अकाउंट में भी 6 लाख रुपये ट्रांसफर किये हैं। कुल 200 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा किया गया है। ACB ने इस घोटाले में अभी तक रिटायर्ड एडीजी अनिल कुमार आहूजा, मैसर्स एवी एंटरप्राइज के मालिक विनय कुमार और मैसर्स विवेक एसोसिएट्स के मालिक अक्षितिज विरमानी को गिरफ्तार किया है।